चतुराई दादी - नानी सरीखी लाओ तुम, अपनी रसोई छोड़ बाहर का ना खाओ तुम। चतुराई दादी - नानी सरीखी लाओ तुम, अपनी रसोई छोड़ बाहर का ना खाओ तुम।
अपनी ही संस्कृति को भूल कहाँ भागे जा रहे हैं, दुनिया भर के लोग तो यहाँ आते जा रहे हैं अपनी ही संस्कृति को भूल कहाँ भागे जा रहे हैं, दुनिया भर के लोग तो यहाँ आते जा...
देश भलो रे,देश भलो रे। भारत है अपनों भैया देश भलो रे। देश भलो रे,देश भलो रे। भारत है अपनों भैया देश भलो रे।
सब भैया मिल, दिवारी गाहें सब भैया मिल, दिवारी गाहें
क्यों परंपरा अब निभा रहे हो क्या लोक लाज का आया है विचार क्यों परंपरा अब निभा रहे हो क्या लोक लाज का आया है विचार
परंपरा और संस्कृति, के मिश्रण से गाँव खुशहाल, दिखता आज सारा शिद्दत से पालन, करते ग्रामीण परंपरा और संस्कृति, के मिश्रण से गाँव खुशहाल, दिखता आज सारा शिद्दत से पालन...